
त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।
गौमाता समस्त देवों की जननी तथा यज्ञ की कारणरूपा हैं, आपको सदैव नमस्कार है।

केवलं जीवानां सेवा एव ईश्वरस्य यथार्थसेवा अस्ति।
प्राणि मात्र की सेवा करना ही परमात्मा की सच्ची सेवा है

गावो विश्वस्य मातरः
गाय को सम्पूर्ण विश्व की माता कहा गया है।

तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं॥