About oxpins

श्री दुधलेश्वर गौ सेवा संस्थान एवं अध्यात्म उन्नति केंद्र

श्री दुधलेश्वर गौ सेवा संस्थान एवं अध्यात्म उन्नति केंद्र कि स्थापना नवंबर २०१६ में परम पूज्य श्री दीपक जी महाराज की प्रेरणा से उनकी अध्यक्षता में की गई. जिसका उद्देश्य प्राणि मात्र की सेवा और सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के काम करना है, संस्था के तत्वावधान में वर्ष भर अनेकों धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सेवा समारोहों का आयोजन किया जाता रहता है

Our testimonials

परम पूज्य
दीपक जी महाराज

इस दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिनका अस्तित्व एक आदर्श समाज बनाने की दृष्टि से प्रेम, विश्वास और एकता फैलाने के लिए समर्पित है। जिनकी उपस्थिति ही हमारे जीवन को भक्ति और प्रेम से भर देती है। पूज्य दीपक जी महाराज उनमें से एक हैं। पूज्य गुरुदेव का व्यक्तित्व तेजस्वी, हंसमुख स्वाभाव, ओजस्वी वाणी एवं स्वयमेव ही सामने वाले के मन को आनंद से भर देने वाला है पूज्य दीपक जी महाराज का जन्म चौदह मई १९८७ को जौनपुर, टिहरी गढ़वाल के तिमलीयाल गाँव के श्री घनश्याम सिंह जी एवं श्रीमती सुचिता देवी के घर में हुआ था। पूज्यश्री का रुझान बचपन से ही धार्मिक गतिविधियों की तरफ आकर्षित था। १५ वर्ष की आयु के दौरान वर्ष २००२ में संत सतगुरु समशेर जी शम्भू के संपर्क में आने के बाद पूज्यश्री के जीवन प्रभु श्रीकृष्ण और बलराम की निर्मल भक्ति के प्रादुर्भाव हुआ और इसके साथ ही पूज्यश्री ने भगवान श्री बलभद्र जी को अपना आराध्य मानते हुए अपनी आगे की आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर दी । पूज्य दीपक जी महाराज ने कथा और प्रवचनों के माध्यम से सनातन धर्म के शाश्वत ज्ञान को साझा एवं उसके प्रचार प्रसार करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। उनका आदर्श वाक्य "वसुधैव कुटुम्बकम" (पूरी दुनिया एक परिवार है) मानवता की स्थापना, शांति, प्रेम, करुणा, भाईचारे की दुनिया बनाने और आध्यात्मिकता को जगाने के उनके लक्ष्यों में स्पष्ट रूप से दर्शाता है। पूज्यश्री ने गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करते हुए वर्ष २०११ में लक्ष्मी स्वरूपा श्रीमती सीमा पुंडीर से विवाह किया ।

पूज्य दीपक जी महाराज का जीवन एक ज्ञान, भक्ति और कर्म के संयोजन के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने सत्संग, तीर्थ यात्राओं और अनुष्ठानों के माध्यम से भक्ति मार्ग का नेतृत्व किया है और भारतीय हिंदू संस्कृति को अग्रणी बनाने की पहल की है। पूज्य दीपक जी महाराज का मानना ​​है कि श्रीमद्भागवत और श्री रामचरित मानस की संयुक्त शक्ति मनुष्य को जीवन की यात्रा में सबल बनाए रखती है। भागवत भक्तिपूर्ण है, श्री रामचरित मानस आचरण और व्यवहार में जिम्मेदारी पर जोर देती है, इसलिए श्री रामचरित मानस से जीने की कला और भागवत से भक्ति और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।

स्वयंसेवक बनें

बेहतर जीवन और भविष्य
के लिए हमसे जुड़ें